Published on: January 23, 2025

जनवरी 2025 में, महाराष्ट्र के लातूर जिले में बर्ड फ्लू (H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा) के मामलों ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। लातूर के अहमदपुर तहसील के ढालेगांव में एक पोल्ट्री फार्म में लगभग 4,200 चूजों की अचानक मौत हो गई। यह मौतें 2-3 दिनों के अंदर हुईं, लेकिन फार्म के मालिक ने समय पर सूचना नहीं दी, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया। मरे हुए पक्षियों के नमूने पुणे स्थित राज्य पशु रोग निदान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए हैं।
इसके अलावा, लातूर के उदगीर शहर में 60 कौवों की रहस्यमय मौत ने प्रशासन को सतर्क कर दिया। भोपाल के आईसीएआर - राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान में इन कौवों के सैंपल की जांच से बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। यह घटना बताती है कि संक्रमण न केवल पोल्ट्री फार्म बल्कि जंगली पक्षियों में भी तेजी से फैल रहा है।

भारत में बर्ड फ्लू की व्यापकता
महाराष्ट्र के अलावा, देश के अन्य हिस्सों में भी बर्ड फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं। राजस्थान के जैसलमेर जिले में प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने इस मुद्दे पर अलर्ट जारी कर दिया है और संक्रमण को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
प्रशासनिक कदम और सुरक्षा उपाय
बर्ड फ्लू के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में सख्त कदम उठाए हैं। पोल्ट्री फार्म संचालकों को अपने फार्म को पंजीकृत कराने और किसी भी संदिग्ध घटना की तुरंत सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमित पक्षियों को मारने और उनके सुरक्षित निपटान की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि संक्रमण को रोकने के लिए क्षेत्र में कीटाणुशोधन और निगरानी बढ़ाई जाए। लोगों से अपील की गई है कि वे मरे हुए या बीमार पक्षियों से दूर रहें और पोल्ट्री उत्पादों को अच्छी तरह पकाकर ही इस्तेमाल करें।
स्वास्थ्य पर प्रभाव और जन जागरूकता
बर्ड फ्लू मुख्यतः पक्षियों में फैलता है, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में यह इंसानों को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, अभी तक आम जनता के लिए इसका खतरा कम है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जनता को सतर्क रहने और संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क से बचने की सलाह दी है। इसके अलावा, पोल्ट्री उत्पादों के उपयोग में सावधानी बरतने और सफाई का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में बर्ड फ्लू के प्रकोप ने न केवल पोल्ट्री उद्योग बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी चुनौती खड़ी कर दी है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और वैज्ञानिक समाधान अपनाने की आवश्यकता है।
बर्ड फ्लू का यह प्रकोप न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरणीय और स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है। इसे रोकने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ जनता की सहभागिता और जागरूकता भी जरूरी है। स्वच्छता, सतर्कता, और समय पर सूचना देकर इस चुनौती से निपटा जा सकता है।