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भारतीय शास्त्रीय संगीत और तबला वादन के दिग्गज उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस, एक प्रगतिशील फेफड़ों की बीमारी, से पीड़ित थे। उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
ज़ाकिर हुसैन ने अपने अनोखे अंदाज़ और अपार कौशल से तबला वादन को वैश्विक पहचान दिलाई। वे सिर्फ़ एक संगीतकार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक राजदूत भी थे, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व मंच पर गौरवान्वित किया। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के घर हुआ। बचपन से ही संगीत में रुचि दिखाने वाले ज़ाकिर ने कम उम्र में ही अपने पिता से तबला वादन की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी।
ज़ाकिर हुसैन ने न केवल भारतीय संगीत, बल्कि पश्चिमी संगीत के साथ भी सफलतापूर्वक सहयोग किया। उन्होंने यो यो मा, जॉन मैकलॉफलिन, और मिकी हार्ट जैसे अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ काम किया। उनकी कला को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें ग्रैमी अवॉर्ड और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान शामिल हैं।
उनका निधन भारतीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनकी कला आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
उनकी अंतिम यात्रा में हजारों प्रशंसकों ने हिस्सा लिया और श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका संगीत भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है, जो हमेशा जीवित रहेगा।