
अडानी समूह ने अपने खाद्य तेल और उपभोक्ता वस्त्र ब्रांड अडानी विल्मर लिमिटेड (AWL) में 44% हिस्सेदारी बेचने का बड़ा फैसला लिया है। यह बिक्री समूह के बुनियादी ढांचा और ऊर्जा परियोजनाओं पर फोकस बढ़ाने के रणनीतिक कदम का हिस्सा है। इस हिस्सेदारी की कुल कीमत लगभग ₹18,817 करोड़ (करीब $2 बिलियन) आंकी गई है।
कैसे होगी हिस्सेदारी की बिक्री?
समूह अपनी हिस्सेदारी दो चरणों में बेचेगा:
- पहला चरण: इसमें 31% हिस्सेदारी सिंगापुर स्थित विल्मर इंटरनेशनल को बेची जाएगी। यह सौदा प्रति शेयर ₹305 की दर से होगा, जो अडानी विल्मर के हाल के बाजार मूल्य से 7.2% कम है।
- दूसरा चरण: शेष 13% हिस्सेदारी सार्वजनिक बाजार में पेश की जाएगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य भारतीय सार्वजनिक शेयरधारिता के न्यूनतम मानकों को पूरा करना है।
इस कदम के पीछे कारण
अडानी समूह अपनी ऊर्जा, परिवहन, और लॉजिस्टिक्स परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की रणनीति अपना रहा है। समूह को उम्मीद है कि इस सौदे से प्राप्त पूंजी से बुनियादी ढांचा विकास को नई गति मिलेगी।
हालांकि, यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अडानी समूह पर हाल में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों के अनुसार, भारतीय बिजली आपूर्ति अनुबंधों को हासिल करने के लिए $265 मिलियन की रिश्वत दी गई थी। हालांकि, समूह ने इन आरोपों को "निराधार" बताया है।
बाजार पर प्रभाव
इस घोषणा के बाद शेयर बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव देखा गया।
- अडानी विल्मर: कंपनी के शेयरों में 6% से अधिक की गिरावट आई।
- अडानी एंटरप्राइजेज: इसके शेयरों में लगभग 8% की बढ़ोतरी हुई।
विल्मर इंटरनेशनल की रणनीति
सिंगापुर स्थित विल्मर इंटरनेशनल ने इस हिस्सेदारी को खरीदने के लिए अपने आंतरिक संसाधनों और बैंकिंग नेटवर्क का उपयोग करने का निर्णय लिया है। कंपनी भविष्य में भारतीय बाजार में और निवेशकों को जोड़ने की योजना बना रही है।
असर और भविष्य की दिशा
इस फैसले का दोहरा प्रभाव होगा:
- अडानी समूह के लिए: बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने और कर्ज को संतुलित करने का अवसर।
- विल्मर इंटरनेशनल के लिए: भारतीय उपभोक्ता बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका।
यह सौदा मार्च 2025 तक पूरा होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से अडानी समूह की विकास योजनाओं को नई दिशा मिलेगी और विल्मर इंटरनेशनल को भारतीय बाजार में अपनी गहरी पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।