लोन लेने वालों के लिए राहत: 5 साल बाद RBI ने ब्याज दर घटाई, रेपो रेट में 25bps की कटौती

RBI rate cut

आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने वर्ष 2025 में अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती करते हुए इसे 6.25% कर दिया है। यह निर्णय देश की आर्थिक स्थिति, मुद्रास्फीति दर और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

मुख्य बिंदु:

  1. रेपो रेट में कटौती: MPC ने रेपो रेट को 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया है। यह कदम आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और उधार लेने की लागत को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
  2. मुद्रास्फीति पर नजर: आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की प्रतिबद्धता जताई है। हालांकि, वर्तमान में मुद्रास्फीति लक्ष्य के दायरे में है, जिससे दरों में कटौती का रास्ता साफ हुआ है।
  3. विकास दर का अनुमान: आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर का अनुमान बनाए रखा है, जो कि लगभग 6.5% से 7% के बीच है।
  4. रिवर्स रेपो रेट: रिवर्स रेपो रेट को भी 25 बेसिस पॉइंट कम करके 3.25% कर दिया गया है।
  5. बैंकों पर प्रभाव: रेपो रेट में कटौती के बाद, बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता होगा, जिससे ग्राहकों को होम लोन, कार लोन और अन्य ऋण सुविधाएं सस्ती दरों पर मिल सकेंगी।

आम आदमी को फायदा 

आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) द्वारा रेपो रेट में कटौती का सीधा प्रभाव लोन (ऋण) पर पड़ता है। जब आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो इससे बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिसका लाभ अंततः उपभोक्ताओं और व्यवसायों को मिलता है। यहां इसके प्रमुख प्रभाव दिए गए हैं:

1. लोन पर ब्याज दरें कम होंगी

रेपो रेट में कटौती के बाद, बैंक और वित्तीय संस्थान अपनी उधार दरें (लोन इंटरेस्ट रेट) कम कर सकते हैं। इससे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और एजुकेशन लोन जैसे विभिन्न ऋण सस्ते हो जाते हैं।

2. ईएमआई में कमी

कम ब्याज दरों का सीधा असर ईएमआई (मासिक किस्त) पर पड़ता है। होम लोन या कार लोन लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई कम हो सकती है, जिससे उनकी मासिक वित्तीय बचत होगी।

3. ऋण लेने की क्षमता बढ़ेगी

कम ब्याज दरों के कारण, लोगों के लिए ऋण लेना आसान और सस्ता हो जाएगा। इससे आवास, शिक्षा और व्यवसाय के लिए ऋण की मांग बढ़ सकती है।

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आगे की रणनीति:

आरबीआई ने यह स्पष्ट किया है कि वह आर्थिक स्थितियों पर लगातार नजर बनाए रखेगा और आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में भी नीतिगत कदम उठाए जाएंगे। MPC की अगली बैठक में और भी नीतिगत बदलावों की संभावना है, जो मुद्रास्फीति और विकास दर पर निर्भर करेगा।

निष्कर्ष:

रेपो रेट में कटौती का उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं तथा व्यवसायों के लिए ऋण सुविधाओं को सस्ता बनाना है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

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