Published on: April 20, 2025

वित्तीय विशेषज्ञ सौरभ मुखर्जी -Founder and CIO of Marcellus Investment ने भारतीय मध्यवर्ग को चेतावनी देते हुए कहा है कि 'सैलरीमैन युग' अब खत्म हो चुका है। उनके अनुसार, आर्थिक अनिश्चितता और तकनीकी बदलावों के कारण केवल नौकरी पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो गया है। उन्होंने पैसिव इनकम, इन्वेस्टमेंट और स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया है। मुखर्जी का मानना है कि भविष्य की सुरक्षा के लिए मल्टीपल इनकम सोर्सेज बनाना जरूरी है। यह बदलाव न केवल आर्थिक स्थिरता लाएगा, बल्कि व्यक्तिगत विकास के नए अवसर भी खोलेगा।
सौरभ मुखर्जी ने क्या कहा
भारत की सामाजिक-आर्थिक संरचना में सबसे बड़ा योगदान देने वाला वर्ग — मध्यवर्ग (Middle Class) — अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ परंपरागत नौकरी की सुरक्षा अब गारंटी नहीं रही। सौरभ मुखर्जी, जो कि Marcellus Investment Managers के संस्थापक और एक प्रसिद्ध निवेश सलाहकार हैं, ने यह स्पष्ट किया है कि हम उस दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहाँ "सैलरीमैन युग" समाप्त हो चुका है।
क्या है 'सैलरीमैन युग' और क्यों हो रहा है उसका अंत?
'सैलरीमैन युग' एक ऐसा दौर था, जिसमें लोग सालों तक एक ही नौकरी करते थे, प्रमोशन की सीढ़ियाँ चढ़ते थे, और अंत में एक भरोसेमंद रिटायरमेंट प्लान उन्हें मिलता था। लेकिन अब न सिर्फ जॉब्स की प्रकृति बदली है, बल्कि कंपनियों का रवैया और तकनीक की भूमिका भी पूरी तरह बदल चुकी है।
ऑटोमेशन, AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और गिग इकॉनॉमी ने स्थायी नौकरियों की जड़ों को हिला दिया है। मुखर्जी के मुताबिक, आज के युग में "लाइफटाइम जॉब" एक मिथ बन चुकी है।
मुखर्जी की चेतावनी – नौकरी की गारंटी अब नहीं रही
सौरभ मुखर्जी ने कहा कि भारतीय मिडिल क्लास अब भी इस भ्रम में जी रहा है कि एक स्थायी नौकरी आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। उनका कहना है कि बीते कुछ वर्षों में बड़े कॉरपोरेट सेक्टरों में छंटनियाँ, पदों की समाप्ति और अनुबंध आधारित नौकरियों का चलन काफी बढ़ा है।
“अब कोई भी नौकरी सुरक्षित नहीं है, खासकर जब तकनीक तेज़ी से मानवीय भूमिकाओं की जगह ले रही हो।” – सौरभ मुखर्जी
क्या है समाधान? मुखर्जी की 5 महत्वपूर्ण सलाह
पैसिव इनकम सोर्सेज बनाएँ – रियल एस्टेट, स्टॉक मार्केट, म्यूचुअल फंड्स या ब्लॉग/यूट्यूब जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से आय अर्जित करें।
स्किल अपग्रेड करते रहें – AI, डेटा साइंस, डिजिटल मार्केटिंग जैसे नए कौशल सीखकर रिलेवेंट बने रहें।
साइड हसल शुरू करें – अपनी हॉबी या एक्सपर्टीज को इनकम जनरेटर में बदलें।
इमरजेंसी फंड जरूर बनाएँ – कम से कम 6-12 महीने का खर्च सेविंग्स में रखें।
नौकरी को इनकम का एकमात्र सोर्स न मानें – बिजनेस माइंडसेट डेवलप करें।
निष्कर्ष: भविष्य की तैयारी जरूरी
सौरभ मुखर्जी की यह सलाह केवल वित्तीय सलाह नहीं, बल्कि एक जागरूकता अभियान है। आने वाले समय में जो लोग मल्टीपल इनकम स्ट्रीम्स पर काम करेंगे, वे ही आर्थिक रूप से सुरक्षित रहेंगे। अब समय आ गया है कि भारतीय मध्यवर्ग 'नौकरी की गारंटी' के भरोसे न बैठे, बल्कि अपने फाइनेंशियल फ्यूचर को स्मार्ट तरीके से प्लान करे।