Published on: March 11, 2025

Sunita Williams, जो भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं, जून 2024 से अंतरिक्ष में फंसी हुई हैं। इस दौरान उन्होंने लगभग नौ वर्षों के बराबर विकिरण (रेडिएशन) का सामना किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी लंबी अवधि तक अंतरिक्ष विकिरण के संपर्क में रहने से डीएनए क्षति, कैंसर का खतरा, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और मस्तिष्क विकार जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
1. अंतरिक्ष विकिरण और कैंसर का खतरा
अंतरिक्ष में कॉस्मिक रेडिएशन पृथ्वी की तुलना में कई गुना अधिक होता है। यह रेडिएशन डीएनए म्यूटेशन (अनुवांशिक परिवर्तन) का कारण बन सकता है, जिससे त्वचा कैंसर, ल्यूकेमिया और फेफड़ों के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। लंबे समय तक विकिरण के संपर्क में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री कैंसर के उच्च जोखिम में रहते हैं।

2. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और संक्रमण का खतरा
SL Raheja Hospital, Mahim – A Fortis Associate के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. संजीत ससीधरन के अनुसार, "लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे शरीर में संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।" जब इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, तो वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
3. मस्तिष्क क्षति और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
अंतरिक्ष में विकिरण और माइक्रोग्रैविटी मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। शोध बताते हैं कि अत्यधिक विकिरण मस्तिष्क कोशिकाओं को क्षति पहुँचा सकता है, जिससे निम्नलिखित समस्याएँ हो सकती हैं:
- याददाश्त की समस्या (Memory Loss)
- संज्ञानात्मक क्षमता में गिरावट (Cognitive Decline)
- व्यवहार में परिवर्तन और मानसिक अस्थिरता
- जल्दी डिमेंशिया (Early-Onset Dementia) का खतरा

Sunita Williams जैसी अंतरिक्ष यात्रियों को कैंसर, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और मस्तिष्क विकारों का अधिक खतरा हो सकता है। हालांकि, नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां इन जोखिमों को कम करने के लिए नई तकनीकों और सुरक्षा उपायों पर काम कर रही हैं। भविष्य में, अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक उन्नत वैज्ञानिक समाधान अपनाए जा सकते हैं।