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नई दिल्ली: देश की ऊर्जा क्षेत्र की प्रगति को रेखांकित करने के उद्देश्य से आयोजित इंडिया एनर्जी वीक 2025 का शुभारंभ आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस भव्य कार्यक्रम में ऊर्जा उद्योग के वैश्विक विशेषज्ञ, नीति निर्माता, और उद्योग जगत के दिग्गज शामिल हुए। उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी ने भारत की ऊर्जा नीति, अक्षय ऊर्जा की दिशा में उठाए गए कदम और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आने वाले दो दशक भारत के लिए निर्णायक साबित होंगे, क्योंकि यह समय देश को एक ऊर्जा महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगा।
भारत की ऊर्जा यात्रा – तेज़ी से आगे बढ़ता देश
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि भारत तेज़ी से ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है। बीते वर्षों में सरकार ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और जैव ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश किया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत अब ऊर्जा क्षेत्र में केवल उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि उत्पादक और नवाचार करने वाला देश भी बन रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विश्वभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। आने वाले दशक में यह क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बनने जा रहा है। हमारी सरकार देश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।"
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नवीकरणीय ऊर्जा में भारत का योगदान
भारत वर्तमान में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, और सरकार ने इसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विशेष रूप से ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। इस कार्यक्रम में चर्चा के दौरान यह भी बताया गया कि 2030 तक भारत अपनी कुल ऊर्जा का 50% हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है।
अगले दो दशक क्यों महत्वपूर्ण?
पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले दो दशक ऊर्जा क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने कहा कि इस दौरान भारत को ऊर्जा दक्षता, सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे। दुनिया तेजी से बदल रही है, और इस बदलाव के साथ तालमेल बिठाने के लिए भारत को अपनी ऊर्जा नीति को और अधिक मजबूत और व्यापक बनाना होगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत न केवल ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि वह ऊर्जा निर्यातक बनने की भी क्षमता रखता है। इसके लिए सरकार "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" जैसे अभियानों को ऊर्जा क्षेत्र से जोड़ रही है।