Published on: March 15, 2025

तकनीक और चिकित्सा के संगम से एक नई क्रांति जन्म ले रही है। दिल से जुड़ी बीमारियों का इलाज हमेशा से एक चुनौती रहा है, लेकिन अब आर्टिफिशियल हार्ट (कृत्रिम हृदय) ने इसे एक नई दिशा दी है। हाल ही में एक मरीज, जिसे यह घर्र-घर्र की आवाज वाला टाइटेनियम से बना आर्टिफिशियल हार्ट लगाया गया, वह 100 दिनों तक जीवित रहा। यह तकनीक दिल की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हजारों मरीजों के लिए एक नई उम्मीद की किरण बन सकती है।
क्या है यह 'घर्र-घर्र' की आवाज वाला आर्टिफिशियल हार्ट?
आर्टिफिशियल हार्ट मूल रूप से एक मशीन-आधारित पंपिंग सिस्टम है, जो शरीर में खून का संचार करने के लिए बनाया गया है। आमतौर पर, जब किसी व्यक्ति का हृदय पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है और कोई डोनर हार्ट उपलब्ध नहीं होता, तो कृत्रिम हृदय एक अस्थायी समाधान के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
यह विशेष आर्टिफिशियल हार्ट एक मैकेनिकल पंप के रूप में कार्य करता है और इसमें लगे मोटर से एक घर्र-घर्र जैसी ध्वनि उत्पन्न होती है। यह आवाज इसकी कार्यप्रणाली का हिस्सा है और यह दर्शाता है कि डिवाइस सही ढंग से काम कर रही है।
100 दिनों तक जीवित रहा मरीज – एक ऐतिहासिक उपलब्धि
हाल ही में एक मरीज, जिसका हृदय पूरी तरह से काम करना बंद कर चुका था, उसे यह आर्टिफिशियल हार्ट प्रत्यारोपित किया गया। डॉक्टरों की टीम ने अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके यह प्रयोग किया और नतीजे चौंकाने वाले रहे – मरीज पूरे 100 दिनों तक जीवित रहा।
कैसे काम करता है यह कृत्रिम हृदय?
- ब्लड पंपिंग सिस्टम – यह कृत्रिम हृदय इलेक्ट्रॉनिक मोटर और हाइड्रोलिक सिस्टम का उपयोग करके खून को पूरे शरीर में पंप करता है।
- बिजली या बैटरी से संचालित – इसे बाहरी पावर सोर्स से जोड़ा जाता है, जिससे यह निरंतर काम करता रहता है।
- मैकेनिकल वाल्व्स – यह प्राकृतिक हार्ट वाल्व्स की तरह ही काम करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन युक्त खून सही मात्रा में प्रवाहित होता रहता है।

क्या हैं इस कृत्रिम हृदय की चुनौतियां?
1. सीमित जीवनकाल
अभी तक इस आर्टिफिशियल हार्ट का इस्तेमाल अस्थायी रूप से किया जाता है। यह लंबे समय तक टिकाऊ नहीं होता और इसे समय-समय पर बदलने की जरूरत होती है।
2. ऊंची लागत
इस तकनीक की लागत बहुत ज्यादा है, जिससे आम लोगों के लिए इसे वहन कर पाना मुश्किल हो सकता है। फिलहाल, यह केवल कुछ विशेष अस्पतालों और शोध केंद्रों में ही उपलब्ध है।
3. शरीर में स्वीकार्यता
कुछ मरीजों के शरीर में यह कृत्रिम हृदय लंबे समय तक काम नहीं कर पाता क्योंकि इम्यून सिस्टम इसे बाहरी तत्व समझकर रिजेक्ट कर सकता है।

घर्र-घर्र की आवाज वाला यह आर्टिफिशियल हार्ट मेडिकल साइंस के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकता है। यह हार्ट फेल्योर के मरीजों के लिए एक अस्थायी समाधान जरूर है, लेकिन भविष्य में यह लाखों लोगों की जिंदगियां बचाने में सक्षम हो सकता है। हाल ही में हुए 100 दिनों तक जीवित रहने वाले मामले ने यह साबित कर दिया कि इस तकनीक में अपार संभावनाएं हैं।
अगर शोधकर्ताओं ने इस पर और अधिक काम किया, तो एक दिन ऐसा आ सकता है जब कृत्रिम हृदय पूरी तरह से प्राकृतिक हृदय का स्थान ले लेगा और हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यह दिन दूर नहीं जब यह तकनीक हजारों जिंदगियों के लिए एक नई उम्मीद बनेगी।