भारत का अनोखा गांव जहां नाम से नहीं, बल्कि सीटी बजाकर बुलाते हैं लोग

unique village in india

भारत विविधताओं का देश है, जहां हर कोने में एक अनूठी परंपरा देखने को मिलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा गांव भी है जहां लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं, बल्कि सीटी बजाकर पुकारते हैं? यह परंपरा न सिर्फ अनोखी है, बल्कि इसे देखने और समझने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं।

कहां स्थित है यह रहस्यमयी गांव?

यह अद्भुत गांव मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले में स्थित है और इसका नाम कांगथोंग (Kongthong) है। यह गांव अपनी अनूठी परंपरा के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध हो चुका है। यहां के लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं, बल्कि अलग-अलग सुरों में सीटी बजाकर बुलाते हैं। यह परंपरा "जिंगरवाई लॉबू" (Jingrwai Lawbei) के नाम से प्रसिद्ध है, जिसका अर्थ है "मां का गीत"

इस परंपरा की जड़ें सदियों पुरानी हैं। माना जाता है कि यह परंपरा तब शुरू हुई थी जब जंगलों में संचार का कोई साधन नहीं था। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसे इस गांव में लोग एक-दूसरे को पुकारने के लिए एक विशिष्ट संगीतमय ध्वनि का उपयोग करते थे, ताकि आवाज दूर तक सुनाई दे सके। धीरे-धीरे यह एक परंपरा बन गई और आज भी यहां हर व्यक्ति का एक अनोखा सीटी नाम होता है, जिसे उसकी मां बचपन में ही तय करती है।

 

हर व्यक्ति का होता है अलग 'सीटी नाम'

कांगथोंग गांव में पैदा होने वाले हर बच्चे को उसकी मां एक विशेष संगीतमय सीटी ध्वनि देती है। यह ध्वनि व्यक्ति की पहचान बन जाती है और जीवनभर उसे उसी से पुकारा जाता है। हालांकि, सरकारी दस्तावेजों और औपचारिक कागजातों में पारंपरिक नाम ही दर्ज किए जाते हैं, लेकिन गांव में संचार का मुख्य माध्यम यही सीटी भाषा होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस अनूठी परंपरा के पीछे ध्वनि विज्ञान काम करता है। चूंकि यह गांव पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है, इसलिए सामान्य आवाज़ें दूर तक नहीं पहुंच पातीं। लेकिन संगीत या सीटी की आवाज़ अधिक दूरी तक स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती है। यही कारण है कि सदियों से गांववालों ने इसे अपनी भाषा का हिस्सा बना लिया।

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विश्व में अन्य जगहों पर भी है ऐसी परंपरा

ऐसी ही परंपराएं दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में भी देखने को मिलती हैं। स्पेन के कैनरी द्वीप समूह में "सिल्बो गोमेरो" नामक एक सीटी भाषा प्रचलित है, जिसका उपयोग स्थानीय लोग संवाद के लिए करते हैं। इसी तरह, तुर्की और मेक्सिको के कुछ गांवों में भी ऐसी अनोखी ध्वनि-आधारित भाषाओं का उपयोग किया जाता है।

पर्यटन और वैश्विक पहचान

कांगथोंग गांव की यह अनूठी परंपरा अब दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही है। भारत सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इसे "सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव" के रूप में मान्यता दी है, ताकि इस परंपरा को संरक्षित किया जा सके और यहां पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।

कांगथोंग गांव भारत की सांस्कृतिक विविधता का एक अद्भुत उदाहरण है। यह न केवल परंपरा और विज्ञान का एक अनूठा संगम प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की कला कितनी अनमोल हो सकती है। आधुनिक तकनीक के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, इस गांव के लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस अनोखी परंपरा का अनुभव कर सकें।

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