भारत का बड़ा फैसला: ‘भाईजान’ बनकर पाकिस्तान का साथ देने वाले देश होंगे बॉयकॉट

Published on: May 15, 2025

भारत का बड़ा फैसला: ‘भाईजान’ बनकर पाकिस्तान का साथ देने वाले देश होंगे बॉयकॉट

भारत सरकार ने तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ कड़े कूटनीतिक और आर्थिक कदम उठाने का फैसला किया है, क्योंकि ये देश पाकिस्तान को सैन्य ड्रोन और रणनीतिक समर्थन देकर भारत की सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं। तुर्की द्वारा पाकिस्तान को बेयरक्टार TB2 ड्रोन की आपूर्ति और अजरबैजान के साथ पाकिस्तान की सैन्य साझेदारी ने भारत को नाराज़ कर दिया है। अब भारत इन देशों के साथ व्यापारिक संबंधों में कटौती करने जा रहा है, जिसमें आयात शुल्क बढ़ाना और निवेश पर रोक लगाना शामिल है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर की भावना के अनुरूप है, जिसमें भारत दुश्मनों के साथ सहयोग करने वालों को सबक सिखाने की रणनीति पर काम कर रहा है।

तुर्की और अजरबैजान का पाकिस्तान को सैन्य समर्थन – भारत के लिए बड़ा खतरा

भारत ने लंबे समय से तुर्की और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे सैन्य समर्थन को गंभीरता से लिया है। तुर्की ने पाकिस्तान को बेयरक्टार TB2 ड्रोन की आपूर्ति की है, जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकता है। ये ड्रोन आर्मेनिया-अजरबैजान युद्ध में भी इस्तेमाल किए गए थे और इनकी घातक क्षमता साबित हो चुकी है। इसके अलावा, अजरबैजान ने पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास और हथियारों की बिक्री शामिल है। भारत ने इन कार्यों को अपनी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा माना है और अब जवाबी कार्रवाई करने का फैसला किया है।

इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने कश्मीर मुद्दे पर बार-बार पाकिस्तान का समर्थन किया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ बयानबाजी की और पाकिस्तान को कूटनीतिक बैकअप दिया। अजरबैजान भी इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) में पाकिस्तान का साथ देता रहा है। भारत अब इन देशों के साथ आर्थिक संबंधों में कटौती करके स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि वह पाकिस्तान के सहयोगियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।


व्यापारिक बहिष्कार: संगमरमर से ट्रांसपोर्ट तक भारत की प्रतिक्रिया

तुर्की का भारत के साथ सबसे बड़ा व्यापार Marble Industry के जरिए होता है। अकेले उदयपुर और राजसमंद क्षेत्र में हर साल तुर्की से ₹3000 करोड़ का संगमरमर आयात किया जाता रहा है। लेकिन अब स्थानीय व्यापार संगठनों ने तुर्की से आयात पूरी तरह से बंद करने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ-साथ इंदौर ट्रांसपोर्ट यूनियन ने भी तुर्की और अजरबैजान के किसी भी कंटेनर या कार्गो की हैंडलिंग से इनकार कर दिया है। व्यापारिक स्तर पर हो रहे इस बहिष्कार का असर तेजी से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। साथ ही, कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर तुर्की और अजरबैजान के प्रोडक्ट्स को ब्लैकलिस्ट किया गया है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत का आम नागरिक भी अब केवल भावना से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हितों के प्रति सजग होकर निर्णय ले रहा है। इसमें उपभोक्ता स्तर पर भी एक Silent Revolution देखने को मिल रहा है।


पर्यटन और मीडिया का पलटवार: ट्रैवल बैन और सोशल ब्लॉक

EaseMyTrip, MakeMyTrip और Travomint जैसी प्रमुख ट्रैवल कंपनियों ने तुर्की और अजरबैजान के लिए सभी टूर पैकेज बंद कर दिए हैं। एक समय में भारत से तुर्की जाने वाले पर्यटकों की संख्या लाखों में थी, लेकिन अब ट्रैवल सेक्टर ने इस विरोध को और भी मजबूती दी है। इसके अलावा, भारत सरकार ने तुर्की के सरकारी न्यूज चैनल TRT World के X (पूर्व ट्विटर) हैंडल को बैन कर दिया है क्योंकि वह भारत के खिलाफ झूठे नैरेटिव फैला रहा था। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan ट्रेंड कर रहे हैं, जिससे स्पष्ट है कि भारत का युवा वर्ग इस मुहिम का नेतृत्व कर रहा है। यह डिजिटल विरोध न केवल एक प्रतीकात्मक कदम है, बल्कि यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि Tech-driven और Public-driven foreign policy अपना चुका है।


निष्कर्ष: भारत की सख्त रवैया नीति – अब "भाईजान" वाली चाल नहीं चलेगी

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उन देशों को बर्दाश्त नहीं करेगा जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ उठाए गए कदम इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अब किसी भी तरह की दोहरी नीति को सहन नहीं करेगा। ऑपरेशन सिंदूर की भावना के तहत, भारत ने यह साबित कर दिया है कि वह दुश्मनों और उनके सहयोगियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेगा। अब तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों को भारतीय बाजार से बाहर होने की तैयारी करनी होगी, क्योंकि भारत की नई नीति में "जो हमारे साथ नहीं, वह हमारे खिलाफ है" का सिद्धांत लागू हो चुका है।

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