Published on: February 18, 2025

कुंभ मेला भारत का सबसे विशाल धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े समागम के रूप में भी जाना जाता है। यह मेला सिर्फ एक धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सनातन परंपराओं को जीवित रखने वाला एक महापर्व है। हिंदू धर्म में कुंभ मेला का अत्यधिक महत्व है, जहां करोड़ों श्रद्धालु, संत-महात्मा, अखाड़े और भक्तगण पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। इसे मोक्ष की प्राप्ति और आत्मशुद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। 2025 में महाकुंभ प्रयागराज में होगा, लेकिन इसके बाद अगला कुंभ मेला कहां और कब होगा, यह सवाल भी महत्वपूर्ण है।
महाकुंभ के बाद अगला कुंभ कब होगा?
महाकुंभ 2025 में प्रयागराज में आयोजित होगा, और इसके बाद, अगले कुंभ मेला का आयोजन 2027 में नासिक में होगा। यह मेला विशेष रूप से गोदावरी नदी के किनारे आयोजित होता है और यहां भी शाही स्नान का महत्व होता है।
इसके बाद, 2030 में पुनः प्रयागराज में अर्धकुंभ का आयोजन होगा। अर्धकुंभ हर 6 साल में एक बार आयोजित होता है, और इसमें स्नान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है।
महत्वपूर्ण तिथियां:
- प्रयागराज महाकुंभ 2025: 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित होगा, जो एक बार फिर दुनिया भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा।
- नासिक कुंभ मेला 2027: नासिक में हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है, और अगला मेला 2027 में होगा।
- उज्जैन सिंहस्थ कुंभ 2028: उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेला का आयोजन हर 12 साल में होता है, अगला मेला 2028 में होगा।
- प्रयागराज अर्धकुंभ 2030: प्रयागराज में अर्धकुंभ मेला 2030 में आयोजित होगा, जो महाकुंभ से छोटा होता है लेकिन उसका पुण्य भी अत्यधिक होता है।
कुंभ मेले की प्रमुख स्नान तिथियां
कुंभ मेले में कई पवित्र स्नान तिथियां होती हैं, जिनमें मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी और महाशिवरात्रि विशेष महत्व रखती हैं। इन अवसरों पर स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
प्रमुख विशेषताएं :
- नागा साधुओं का शाही स्नान
- विभिन्न अखाड़ों की पेशवाई
- आध्यात्मिक प्रवचन और धार्मिक अनुष्ठान
- गंगा, यमुना, क्षिप्रा और गोदावरी में स्नान का महत्व
कुंभ स्नान करने का महत्व शास्त्रों में बहुत अधिक बताया गया है। इसे विशेष रूप से इस रूप में माना गया है कि ये स्नान पापों से मुक्ति, आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए आवश्यक होते हैं। कुंभ मेले में स्नान करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के पाप भी समाप्त हो जाते हैं और वह जीवन के सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।