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भारत में चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, जिसकी निष्पक्षता लोकतंत्र की रीढ़ मानी जाती है। हाल ही में सरकार द्वारा पूर्व नौकरशाह ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किए जाने पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, जो चयन समिति के सदस्य हैं, ने इस नियुक्ति प्रक्रिया को पक्षपातपूर्ण और अपारदर्शी बताया है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया जल्दबाज़ी में और बिना पर्याप्त विचार-विमर्श के पूरी की गई।
1. अंतिम समय पर सूची देना – कांग्रेस की नाराजगी का मुख्य कारण
चुनाव आयोग जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय के प्रमुख की नियुक्ति में पारदर्शिता और निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती है। लेकिन कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि उन्हें रात 10 बजे 212 संभावित उम्मीदवारों की सूची भेजी गई, जबकि बैठक से सिर्फ 10 मिनट पहले छह अंतिम नामों की सूची दी गई। इतने कम समय में इतने महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति का चयन करना संभव नहीं था। इससे कांग्रेस को यह संदेह हुआ कि पूरी प्रक्रिया पहले से तय और एकपक्षीय थी।
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2. चयन समिति से मुख्य न्यायाधीश को बाहर करना – न्यायिक संतुलन की कमी
पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का महत्वपूर्ण स्थान था। इससे यह सुनिश्चित किया जाता था कि नियुक्ति सरकार के प्रभाव से मुक्त और निष्पक्ष हो। लेकिन हाल ही में पारित "मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023" के तहत अब चयन समिति में प्रधानमंत्री, उनके द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता को शामिल किया गया है।
इस बदलाव के बाद कांग्रेस को आशंका है कि सरकार अपने मनमुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर सकती है, जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। अधीर रंजन चौधरी ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए एक गंभीर झटका बताया और कहा कि CJI की अनुपस्थिति निष्पक्षता के लिए बड़ा खतरा है।
3. सरकार की मनमानी – निष्पक्षता पर उठे सवाल
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि चयन समिति में सरकार का प्रभाव अधिक है, जिससे निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संदेह के घेरे में आ गई है। मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार, सरकार के पास बहुमत है, जिससे यह तय करना लगभग निश्चित हो जाता है कि चयन उनके मनपसंद व्यक्ति का ही होगा। इससे विपक्षी दलों को आशंका है कि चुनाव आयोग आने वाले चुनावों में निष्पक्षता से काम नहीं कर पाएगा।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा,
"मैं यह नहीं कह रहा कि यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से मनमानी है, लेकिन इसमें गंभीर खामियां हैं।"
कांग्रेस का मानना है कि इस प्रकार की नियुक्तियां लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकती हैं।
कांग्रेस के अनुसार, अगर यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रही तो आने वाले समय में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठेंगे। विपक्षी दलों को लगता है कि सरकार द्वारा चुने गए व्यक्ति का झुकाव सत्ता पक्ष की ओर रहेगा, जिससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।